ये हैं दुनिया की 7 सबसे पावरफुल मिलिट्री यूनिफॉर्मस, किसी सुपरहीरो के सूट से नहीं हैं कम! जानिए खासियत
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में संसदीय समिति के सामने अपनी नाराजगी जाहिर की है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार बीते बुधवार को रक्षा मुद्दे पर संसदीय समिति की बैठक को राहुल गांधी और दो अन्य कांग्रेसी नेता बीच में ही छोड़कर चले गए. खबरें हैं कि पैनल में सशस्त्र बलों की यूनिफॉर्म को लेकर बात हो रही थी. राहुल ने जानना चाहा कि क्यों राजनेताओं को सेना की वर्दी और रैंक तय करनी होती है. उन्होंने सलाह दी कि यह काम सेना को ही करने दिया जाए.
 इस बैठक में राहुल के साथ कांग्रेस नेता राजीव सातव और रेवानाथ रेड्डी भी बाहर आ गए थे. कांग्रेस नेता ने आरोप लगया है कि इस मीटिंग में जवानों को बेहतर हथियार देने पर चर्चा करने केबजाए पैनल यूनिफॉर्म पर बात कर समय खराब कर रही थी. इस तमाम विवादों के बीच सेना की वर्दी को लेकर बात सामने आई. किसी भी देश के लिए उसके सेना और सुरक्षाकर्मियों की वर्दी बहुत अहम होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि दुनिया की 7 सबसे पावरफुल मिलिट्री यूनिफॉर्मस कौन सी हैं.

फिस्ट, ब्रिटेन

फ्यूचर इंटिग्रेटेड सोल्जर टेकनोलॉजी या फिर फिस्ट ब्रिटिश आर्मी का एक । प्रोजेक्ट है जिसका उद्देशय जवानों के युद्ध के तरीके को बेहतर करना और उन्हें युद्ध के लिए सर्वश्रेष्ठ चीजें उपलब्ध कराना है. इसके तहत, हथियार, यूनिफॉर्म, रेडियो तकनीक, देखने के लिए सुविधाजनक यंत्र मुहैया कराया जाता है. ब्रिटिश मिलिट्री के कवच को बनाने के लिए शक्ति से ज्यादा गतिशीलता को बढ़ावा दिया जाता है. ब्रिटिश डेवलपर्स ने ऐसे कपड़े का इस्तेमाल किया है जिसपर कंप्यूटर यंत्र भी लग जाता है जिससे कनेक्टिविटी बेहतर हो जाती है.

रैटनिक–3, रूस

अमेरिका के फ्यूचर फोर्स वॉरियर प्रोग्राम की टक्कर रूस का रैटनिक प्रोग्राम ही कर सकता है. रैटनिक भविष्य की एक रूसी युद्ध प्रणाली है. ये प्रणाली रूसी सुरक्षाबलों के जवानों की युद्ध क्षमता और एक दूसरे से कनेक्ट रहने की सुविधा को बढ़ावा देती है. इसके तहत बेहतर कवच, हेल्मेट, आखों के लिए अलग-अलग प्रकार के मॉनिटर, संपर्क यंत्र और हेडफोन्स को बनाना है. रैटनिक के तहत खास तरह की यूनिफॉर्मस को डिजाइन किया जाता है. रूसी जवानों की यूनिफॉर्म को एक्सोस्केलिटन या बाहरी सख्त कवच के रूप में बनाया जाता है जिससे जवानों को किसी तहर की मुश्किल नहीं होती है. 

ये कवच इसानी फोर्स को बढ़ा देता है. अमेरिकी यूनिफॉर्म की तरह इस कवच को हल्का और गतिशील बनाने की ओर ध्यान नहीं दिया जाता बल्कि इस शक्ति को बढ़ाने पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जाता है. इस कवच से बिना किसी परेशानी के जवान एक हाथ से मशीनगन उठा सकते हैं, 150 किलो तक हथियार या गोलियां अपने साथ ढो सकते हैं. ये एक्सोस्केलिटन या ढांचा टाइटेनियम से बनता है जबकि इसके अंदर बिजली का एक इंजन लगा रहता है जो चार्जिंग के साथ पूरे एक दिन तक चल सकता है. ये यूनिफॉर्म 50 डिग्री सेल्सियस से -50 डिग्री सेल्सियस तक के वातावरण में काम कर सकता है. इसका प्रमुख कारण है रूस में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड.

फेलिन, फ्रांस

अन्य देशों की तरह फ्रांस में भी युद्ध के लिए जवानों को बेहत कवच देने के लिए एक प्रोग्राम बनाया गया है जिसका नाम है थ्रप्छ फेलिन के जरिये जो यूनिफॉर्म बनाई जाती है वो नैनोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तो नहीं करती है मगर इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला टेक्सटाइल बेहद खास होता है. ये यूनिफॉर्म आग नहीं पकड़ता, वॉटर प्रूफ है, खून चूसने वाले कीट या अन्य तरह के कीड़ों से बचाता है और इनमें सांस लेना आसा है. किसी इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम में ये यूनिफॉर्म जवानों को छुपाने में काम आते हैं. इस यूनिफॉर्म के साथ खास तरह का हेल्मेट भी दिया जाता है जिसमें मास्क होता है. ये मास्क गैस रिसाव या हवा में जहर से जवानों की रक्ष करता है.

कॉमफुट, स्पेन

स्पेनिश कवच को ब्डन् कहते हैं. जीएमवी नाम की कंपनी स्पेनिश फ्यूचर कॉम्बैट प्रोग्राम के तहत स्पेन के जवानों के लिए बेहतर सुरक्षा यंत्रों का निर्माण करती है. कॉमफूट के तहत बनने वाली यूनिफॉर्मस बिल्कुल किसी सांइस फिक्शन फिल्म के कवच जैसी लगती है. जवानों को दी गई बंदूकें इतनी बेहतरीन होती हैं कि जवानों को गोली चलाने के लिए बंदूक अपने चेहरे के पास लाने की जरूरत ही नहीं होती है. 

एक छोटे आकार के आउटलेट बंदूक से निकले रहते हैं जिसमें देखकर बंदूक चलाई जा सकती है. जवानों के सूट में घुटनों और कोहनियों पर खास ध्यान दिया जाता है. साथ ही फ्लेक्सिबल बुलेटप्रूफ जैकेट का भी इस्तेमाल होता है. इन यूनिफॉर्म में पसीना सोखने के लिए भी खास तरह के यंत्रों का उपयोग किया जाता है.

चीन का फ्यूचर सोल्जर प्रोजेक्ट

चीन अपनी तकनीकों का इस्तेमाल कर के ऐसे कवच और यूनिफॉर्मस का निर्माण करता है जो कई मायनों में दूसरों से बेहतर होते हैं. पहला ये कि चीन द्वारा बनाए गए कवच, कवच नहीं इंसान के दूसरे कंकाल या स्केलिटन जैसे ही लगते हैं. ये डिवाइस साधारण यूनिफॉर्म के उपर पहनी जाती है. चीन के द्वारा बनाए गए कवच में सुपरपावर्स हैं जो जवानों को भी शक्तियां दे देती हैं. ये कवच जवानों को 5 गुणा शक्तिशाली बना देते हैं. एक्सपेरिमेंट के दौरान ये पाया गया कि इस कवच को पहनने के बाद एक जवान 45 किलो वजन लेकर बहुत दूर तक पैदल चला गया और उसे ज्यादा जोर भी नहीं लगाना पड़ा.

आईडीजेड-ईएस, जर्मनी

जर्मनी के फ्यूचर सोल्जर प्रोजेक्ट के तहत 4-4 प्रोग्राम का निर्माण किया गया है. इस सूट में भी वही तमाम सुविधाएं हैं जो दूसरे देशों के खास सूट्स में होती हैं मगर इसमें एक खास चीज और है. इस सूट के साथ जवानों के पास होता है पोर्टेबल मिनी कंप्यूटर. इस कंप्यूटर के तहत जब जवान युद्ध में मौजूद होता है तो वो अपने साथी जवानों को, अपनी सेना की दूसरी टुकड़ी को और अपने चीफ के कमांड को आसानी से देख सकता है. ये सूट बुलेट प्रूफ होने के साथ-साथ धमाकों से भी बचा लेता है.

फ्यूचर फोर्स वॉरियर, अमेरिका

फ्यूचर फोर्स वारियर अमेरिका की सैन्य उन्नत प्रौद्योगिकी प्रदर्शन परियोजना थी जो फ्यूचर कॉम्बैट सिस्टम्स परियोजना का हिस्सा थी. इस परियोजना के तहत जवानों के यूनिफॉर्म पर विशेष ध्यान रखा गया था. इस यूनिफॉर्म में सबसे खास चीज है जवानों का कवच. ये कवच एक गतिशील कवच के रूप में था. ये कवच महज 1 इंच मोटा रहा होगा मगर इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला खास मटीरियल आज के समय के कवच के मुकाबले इसे और ज्यादा प्रभावी बनाता है. 

इस कांसेप्ट को 2010 और 2020 को ध्यान में रखते हुए 2000 के शुरुआती सालों में प्रपोज किया गया था. कांसेप्ट के तहत सूट को बनाने के लिए चुंबकीय रियोलॉजिकल द्रव का इस्तेमाल किया जाता है जो शरीर से बिल्कुल चिपक जाता है. अगर कोई जवान मैग्नेटिक फील्ड के दायरे में है तो ये द्रव चंद सेकेंड में सख्त हो जाता है. यानी गोली लगने पर ये सख्त हो जाता है और जब स्ट्राइक कम होती है तो ये फिर से सॉफ्ट होने लगता है. इसके साथ ही इस यूनिफॉर्म में नैनोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है.