आखिर कया है कन्याकुमारी मंदिर का रहस्य, कैसे पड़ा इसका नाम कन्याकुमारी-


कन्याकुमारी जो कि भारत के तमिलनाडु राज्य का ही एक शहर है और यह भारत की दक्षिणी अन्तिम सीमा है। इस शहर को यह नाम यहां पर स्थित कन्याकुमारी मंदिर के नाम पर है। कन्याकुमारी तीन सागरों के संगम का शहर है, पहली बंगाल की खाड़ी दूसरी अरब सागर और तीसरी हिन्द महासागर इन तीनों का संगम ही यहां का पवित्र स्थल है। आइये जानते है कि कैसे पड़ा इस मन्दिर का नाम कन्याकुमारी-


पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहते है कि एक बाणासुर नाम के राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या की, जिसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसकी इच्छानुसार उसे अमरत्व का वरदान दिया और कहा कि तुम्हें कुमारी कन्या के अलावा कोई नहीं मार सकता। अमरत्व वरदान पाने के पश्चात् वाणासुर ने सभी जगहों पर उत्पात मचाना शुरू कर दिया, उसके इस उत्पात की वजह से सभी देवता परेशान होकर भगवान विष्णु की शरण में गये। तभी भगवान विष्णु ने उन सभी देवताओं को यज्ञ करने को कहा, "तभी देवताओं द्वारा किये गए यज्ञ की अग्नि से दुर्गा जी एक अंश से कन्या रूप में प्रकट हुई।


कुमारी कन्या को देवी पार्वती का ही अवतार माना जाता है। कुमारी कन्या भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी, जिसके लिए उन्होंने दक्षिण समुद्री तट पर पूजा अर्चना और तपस्या की। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनका यह प्रस्ताव स्वीकार किया और विवाह की तैयारियां भी शुरू हो गयी। इस द्रश्य को देखकर सभी देवता चिन्तित हो गए और कहा कि यदि ऐसा हो गया, तो वाणासुर नाम के राक्षस का अन्त नहीं होगा। भगवान शिव को कुमारी कन्या से विवाह करने से रोकने के लिए देवर्षि नारद मुनि ने भगवान शिव को विवाह वाले स्थान पर जाने के लिए अधिक समय तक रोक रखा जिससं विवाह का शुभ मुहुर्त निकल जाये। इसीलिए कहा जाता है कि विवाह मुहुर्त निकल जाने के पश्चात् भगवान शिव उसी जगह स्थाणुरूप से स्थित हो गए। कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि वहां पर जो भी रोली, अक्षत तिल व अन्य वो सब रेत के रूप में मिलता है।


कुछ समय पश्चात् वाणासुर को उस कुमारी कन्या के सौन्दर्य के बारे में सुना और वो उसी कन्या के पास गया और शादी का प्रस्ताव रखातब उस कन्या ने वाणासुर से शर्त रखी और कहा यदि तुम मुझे युद्ध में हरा दोगे तो मैं तुमसे विवाह करूंगी। लेकिन उस युद्ध में कन्या के हाथों राक्षस वाणासुर मारा गया। इसीलिए इस स्थान को देवी कन्याकुमारी के नाम से जाना जाता हैं। कन्याकुमारी तीर्थ यात्रा और पर्यटन स्थल के लिए उल्लेखनीय है। कन्याकुमारी मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है।


कन्याकुमारी मंदिर भारत के हिंदू मंदिरों में से एक है जिसका लगभग सभी प्राचीन हिंदू शास्त्रों में उल्लेख किया गया है। इसका निर्माण 1601 ईसवी के आसपास हुआ था। कहा जाता है कि प्राचीन ग्रेनाइट किला त्रावणकोर शासकों का निवास था। इस किले परिसर में माता के महल और प्रदर्शन के घर जैसी कई महत्वपूर्ण इमारतों को शामिल किया गया है। वहीं किले के पास एक छोटा संग्रहालय भी है जिसमें पुराने समय की कई कलाकृतियाँ, तलवारें, खंजर, चित्रकारी, चीनी जार, लकड़ी के फर्नीचर और भी कई अन्य लकड़ी के हथियार शामिल हैं। विवेकानंद रॉक मेमोरियल प्रतिष्ठित स्मारकों में से एक है यह विवेकानंद रॉक मेमोरियल तट से 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। इसके स्मारक स्वामी विवेकानंद मंडपम और श्रीपद मंडपम स्मारक दो मुख्य परिसर हैं जिसका दौरा लाखों पर्यटकों द्वारा किया जाता है। सुविन्द्रम एक मंदिर शहर है जो कि सुचितंदम कन्याकुमारी शहर से 11 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां के प्रत्येक मंदिर विशिष्ट द्रविड़ शैली में बने हैं और बड़े पैमाने पर गोपुरों के साथ सजे हुए हैं।


यहां एक स्मारक भी है जो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को समर्पित है। कहा जाता है कि इसी जगह पर महात्मा गांधी की अस्थियाँ रखी गई थी, इस स्मारक की स्थापना 1956 में हुई थी। महात्मा गांधी 1937 में यहां आए थे। लेकिन उनकी मृत्यु पश्चात् 1948 में कन्याकुमारी में ही इनकी अस्थियां विसर्जित की गई थी।


कहा जाता है कि कन्याकुमारी एक ऐसी जगह है, जहाँ बिना आये आपकी यात्रा को सम्पूर्ण नहीं माना जाता है। माने तो हर व्यक्ति को जीवन में एक बार कन्याकुमारी आकर इस सुंदर स्थान के दर्शन और भ्रमण जरूर करना चाहिये।