दुनिया के दूसरे सबसे विशाल मकबरा में एक जिसे सब “गोल गुम्बद के नाम से जानते है-

जैसा कि हम सब जानते है कि हमारे भारत में कई ऐसे मकबरे हैं, जिसकी चर्चायें पूरी दुनिया में हैं, उन्हीं में से एक है गोल गुम्बद जिसे दुनिया का दूसरा सबसे विशाल मकबरा और भारत का पहला सबसे बड़ा मकबरा माना गया है जो कि कर्नाटक राज्य के बीजापुर शहर में स्थित है। यह मकबरा गोल गुम्बद के बलावा गोल घुमट के नाम से भी जाना जाता है। इसे दक्षिण वास्तुकला का विजय स्तम्भ भी माना जाता है। तो आइये आज हम आपको बतायेंगे गोल गुम्बद के बारे में-



गोल गुम्बद का निर्माण- अगर हम अपने तरीके से बालें तो यह निहायती खूबसूरत और शानदार गोल गुम्बद है जो आदिलशाही वंश के सातवें शासक और बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिलशाह का मकबरा है। आदिल शाह यहां के 1460 से 1696 के बीच शाही राजवंश के शासक थेइस विशाल गुम्बद का निर्माण दाबुल के मशहूर फारसी वास्तुकार याकूत ने किया था, वैसे तो इस विशाल गुम्बद का निर्माण कार्य 1626 में शुरु हुआ था लेकिन ये पूरा बनकर 1656 में हुआ था मतलब ये कि इस गुम्बद को बनने में तकरीबन 20 साल का समय लगा था। वहीं इस मकबरे की सबसे अच्छी खासियत यह है कि इस गुम्बद के ऊपर से बीजापुर शहर का पूरा नजारा देखा जा सकते हैं। इस खूबसूरत गोल गुम्बद को देखने के लिए बहुत दूर-दूर से पर्यटकों आते है।



गोल गुम्बद की वास्तुकला- दुनिया के खूबसूरत और विशाल गुम्बद का क्षेत्रफल लगभग 18 हजार 337 वर्गफुट है, जबकि इसकी ऊंचाई तकरीबन 175 फुट है। लेकिन अगर बात करें इस गुम्बद के अन्दर की जो ऐसा बना है, जिसको देख हर कोई हैरान हो जाता है, दरअसल इसके अन्दर का हिस्सा बिना सहारे से टिका हुआ है, मतलब कि अन्दर से गोल गुंबद पूरी तरह खोखली है, इस रहस्य का पता तो अभी तक विज्ञान भी नहीं लगा पाया, कहा जाता है कि यह गुंबद रोम के पेंथियन सेंट पीटर-गिर्जे के गुम्बद से थोड़ा छोटा है और साथ ही इसमें एक फुसफुसा गैलरी भी है जो 11 मीटर चौड़ी है। धावुल के प्रसिद्ध वास्तुकार याकूत ने इस विशाल गुम्बद का निर्माण कुछ इस तरह किया कि इस गैलरी में 7 बार आवाज गूंजती हैं और तो और एक तरफ से दूसरी तरफ तक यह आवाज एकदम साफ सुनाई देती है। हालांकि आवाज की इस गूंज के पीछे की मान्यता बताते हुए कहा गया है कि राजा आदिल शाह और उनकी बेगम इसी गैलरी के रास्ते एक-दूसरे से बातें किया करते थे। इसीलिए इसको बोल-ऐ-गुम्बद भी कहा जाता हैं। इसके अलावा गोल गुंबद मकबरे के अंदर सीढ़ियों से घिरा हुआ एक चौकोर चबूतरा भी है। इसी चबूतरे के बीच में एक कब्र का पत्थर है, जिसके नीचे इसकी असली कब्र बनी है। जो कि बादशाह, उनकी दो बीवीयों, बेटियों और पौत्रों की है।



दरअसल कहा जाता है कि इस गोल गुम्बद इमारत का निर्माण करने वाले कारीगर को इसे बनाने में करीब 20 साल लगे थे, लेकिन जब इसका निर्माण कार्य पूरा हो गया तो आदिलशाह की मौत हो गई थी जिससे उन्हें इसी स्थान पर दफना दिया गया। इस गुम्बद का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि, इसके चारो कोने चार मीनारों से जुड़ी हुई हैं और हर मीनार 7 मंजिल की है साथ ही साथ इसके ऊपर बुर्ज है। वहीं इसमें बड़ी-बड़ी खिड़कियां भी बनी हैं जिससे सूर्य की रोशनी इसके अन्दर तक पहुंचती है। वहीं छत से गुम्बद तक जाने के लिए 8 दरवाजों का निर्माण किया गया हैं, जिसपर सागौन की लकड़ी से काम किया गया है।



कहा जाता है कि पहले इस गुंबद में एक मस्जिद और एक रास्ता भी था जो कि शाही महल की तरफ जाता था, लेकिन अब इस महल का आस्तित्व ही खत्म हो गया और सिर्फ गोल गुंबद और मस्जिद ही बची है। इसीलिए इस गुंबद को सेंट पीटर्स के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मकबरा कहा गया है जिसकी खूबसूरती के चर्चे पूरी दुनिया में फैले हुए है।


गोल गुम्बद में है म्यूजियम- जानकारी के अनुसार दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मकबरे में एक संग्रहालय भी है, जहां बादशाह का सामान रखा है जो कि पुराने कई संग्राहलयों में से एक है। यह संग्रहालय गोल गुम्बद के मुख्य द्वार के सामने स्थित है। हालांकि पहले ये गुम्बद का ही एक हिस्सा माना जाता था, लेकिन ब्रिटिश शासकों ने इसे 1892 में म्यूजियम में तब्दील कर इसमें बादशाह का कीमती सामान रख दिया। वहीं पहले यह इमारत नक्कार खाना थी, जिसमें शाही लोगों के शिरकत करते समय ड्रम बजाकर उनका स्वागत किया जाता था। लेकिन बाद में इसे कुछ महत्वपूर्ण चीजों की सुरक्षा के लिए संग्रहालय बना दिया गया।



इस मकबरा के आस-पास खूबसूरत और हरे-भरे बाग-बगीचे बने हैं, जो इसकी खूबसूरती को बढ़ा देते हैं जिससे लोग इसकी ओर आर्कषित होते हैं साथ ही आदिलशाह के इस मकबरे की वास्तुकला को देखने के लिए दूर-दूर से मुसाफिर आते हैं।


कैसे पहुंचे गोल गुंबद देखने?- इस गुम्बद तक बीजापुर, बैंग्लोर, बेलगाम और गोवा के रास्ते आसानी से पहुंचा जा सकता हैं। लेकिन बेलगाम इन तीनों में सबसे पास है और अगर आप फ्लाइट से आने वाले पर्यटक है तो यहां एयरपोर्ट भी है जिस वजह से आप बेलगाम सबसे पहले पहुंच कर यहां घूम सकते है, यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए भी बहुत अच्छी व्यवस्था है और तो और यहां पर्यटकों के लिए मौर्या, आदिलशाही, सनमन, सम्राट और मधुवन समेत तमाम इंटरनेशनल होटल भी हैं।



गोल गुम्बद के बारे में कुछ रोचक तथ्य- इस गोल गुम्बद तें प्रवेश के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित इस इमारत में प्रवेश का शुल्क 15 रुपए है, लेकिन अगर आप कैमरा या वीडियो कैमरा लेकर जाते है तो इसका शुल्क अलग से लगता है। टिकट घर के पास एक क्लॉक रूम मौजूद है, जहां आप अपने बैग बगैरा जमा कर सकते हैं जिसका शुल्क मात्र 10 रुपए है। वहीं इसके अन्दर एक कैंटीन भी है जिसमें खाने-पीने का भी अच्छा खासा प्रबंध है। इसकी खूबसूरती को देखने के लिए पूरी दुनिया से हर साल लगभग लाखों की संख्या में लोग कर्नाटक घूमने आते हैं।


आदिलशादी वंश के समय बना यह मकबरा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मकबरा है। और इसकी अपनी एक अलग पहचान है। इसकी एक झलक पाने के लिए लोग कई किलोमीटर का सफर तय कर आते हैं। और जो भी इस मकबरे की सैर करता है, वह इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाता है।